सेवा भी सम्मान भी,, श्री भोले जी महाराज माता श्री मंगला जी के आशीर्वाद से कर रहे परोपकार।।
पिबन्ति नद्यः स्वयमेव नाम्भः
स्वयं न खादन्ति फलानि वृक्षाः ।
नादन्ति सस्यं खलु वारिवाहाः
परोपकाराय सतां विभृतयः ॥
नदियाँ अपना पानी खुद नहीं पीती, वृक्ष अपने फल खुद नहीं खाते, बादल (खुद ने उगाया हुआ) अनाज खुद नहीं खाते । सत्पुरुषों का जीवन परोपकार के लिए हि होता है
उतराखंड के लोकगायक वीरू जोशी जी के इस सेवा भाव परोपकार के लिए हम उन्हें सलाम सलाम सलाम करते हैं ।।
Editor-Mohan Arya
Uttrakhand Chamoli Dewal
Vill Purna
16 June 2021
Cot..-7060281098